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Channel: देर रात के राग

पहाड़ों में बर्फ़बारी का क़सीदा

 ओ सफ़ेद झबरे पिल्ले! आओ लुकाछिपी खेलें। तुम्हारी ऊब की उधड़ी हुई गेंद लेकरमैं हरे पत्तों में छुपा दूँगी। तुम उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते पानी बन जाओगे। ऐसे ही मैंने छुपा कर रख दी थींसालों पहले की एक नीरस...

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Article 7

 नेपाली कवि कामरेड  बलराम तिमल्सिना ने 'काठ का कुन्दा'कविता का नेपाली भाषा में अनुवाद किया है। काठको मुढो !*****पोखरीको किनारामा एक छेउ पानीलाई छोएकोअनि अर्को छेउएउटा भत्किएको झुपडीमा गाडिएकोएउटा काठको...

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एक नीले सपने का क़सीदा

 काले-भूरे राजकीय हिंसा के घटाटोप मेंलाल रक्त घुल रहा था अँधेरे में। सड़कों पर फ़ासिस्ट शोर का साम्राज्य थामन्दिरों के घण्टे पूरी ताक़त के साथ बज रहे थेऔर क़ब्रिस्तान में रात की वीरानगी मेंपीले जुगनू...

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Article 5

 (नेपाली कवि कामरेड बलराम तिमल्सिना ने मेरी कविता 'एक नीले सपने का क़सीदा'का नेपाली भाषा में अनुवाद किया है) एउटा नीलो सपनाको कथा******** कालो -खैरो राजकीय हिंसाको छायाँ मुन्तिरअँध्यारोमा रातो रगत...

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Article 4

 अच्छे से अच्छे कवि या अपने बहुत प्रिय कवि से भी काव्य-शैली, रूपक या बिम्ब-विधान उधार लेने से अच्छी कविता नहीं बन जाती। अच्छी से अच्छी  चीज़ की अच्छी से अच्छी नक़ल भी एक प्रहसन ही होती है। जो कवि हमें...

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पहाड़ों की सर्दियों की कठिन रात का क़सीदा

  इस चोटी से उस चोटी तकघाटी के आरपार फैलेविशाल काले कम्बल के किस कोने मेंसुनहरी नागिन 'हिस्स-हिस्स'कर रही है?ओ सुनहरी नागिन! यहाँ नहीं मिलेंगे तुम्हेंबिल्लौरी आँखों वाले घमण्डी हरे मेढकऔर मुझे डँसकर...

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एक अकेले दुख का क़सीदा

 मृत निजी क्षणों की अवांछित संतान था वह। एक अकेला दुख। अनाथ। उगा था दिल के नीमअँधेरे, सीलनभरे कोने में। एक मटमैले मशरूम की तरह। किसी लापरवाही का नतीजा। कुपोषित। क्षयग्रस्त। पीतमुख।घाटी के छोटे से वीरान...

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एक सपने का क़सीदा जिसमें शहतूत का कटा हुआ पेड़ पड़ा था रक्तरंजित

 शहतूत के कटे हुए तने से बहता हुआ रक्तमेरे हृदय में प्रवाहित हो रहा था। उसके फलों के कत्थई गुच्छों पर मँडराती मधुमक्खियाँमद्धम गुनगुन स्वर में विलाप कर रहीं थीं। हवा की सांत्वना की शान्तिवादी...

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बेवजह, बेतरतीब सवालों का क़सीदा

 ('सवालों की किताब'पढ़ने के बाद नेरूदा से चन्द सवाल) लोहे की साँस कहाँ है? क्या लुहार की भाथी में? और उसकी ताक़त? क्या भट्ठी की आग में? जीवन में कितनी हो कविताकि कविता में धड़कता-थरथराता रहे जीवन?...

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हमारी माँग है -- बदलाव! आमूलगामी बदलाव!

 लेकिन हम माँग किससे रहे हैं? यह तो हमारा काम है! हम सब मामूली लोगों का काम है! रोटी, इंसाफ़, बराबरी और आज़ादी! इनके लिए एक लम्बी लड़ाई लड़नी होगी। वक़्ती नाक़ामयाबियों और शिकस्तों से मायूस होने की जगह...

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Article 5

 

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'श्री दुष्ट महाख्यानम्'

 'श्री दुष्ट महाख्यानम्' (अविकल संस्करण)। आख्यान के दीर्घाकार से विचलित न हों और प्रति दिन ध्यानस्थ होकर इसका सस्वर वाचन करें तथा इसे कण्ठाग्र कर लें। दुष्ट कोप से सुरक्षित रहेंगे। आलस्य करेंगे तो जीवन...

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भागो नहीं, दुनिया को बदलो !!

 महाविद्रोही जनमनीषी राहुल सांकृत्यायन के जन्मदिवस (9 अप्रैल) और स्मृति दिवस (14 अप्रैल) के अवसर परतर्क व ज्ञान की मशाल लेकर आगे बढ़ो और रूढ़ियों को तोड़ डालो ! भागो नहीं, दुनिया को बदलो !!राहुल...

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Article 2

 वर्ग संघर्ष के बिना पर्यावरणवाद वैसे ही है जैसे बागवानी करना ।-- चिको मेण्डेस*इसमें कुछ और चीज़ें जोड़ना ज़रूरी है... जैसे... वर्ग संघर्ष के बिना नारीवाद वैसे ही है जैसे किटी पार्टी !*वर्ग संघर्ष की...

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Article 1

 एक बुज़ुर्ग साहित्यकार महोदय हैं। एक पत्रिका के सम्पादक भी हैं। पिछले साल आज ही के दिन मैंने ग़ज़ा में जायनवादी फासिस्टों द्वारा जारी नरसंहार पर एक पोस्ट डाली थी तो मुझे झिड़कते हुए उन्होंने कमेंट...

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Article 0

 "कवि की मुख्य ज़िम्मेदारी होती है कि वह भाषा को पर्याप्त पारदर्शी बनाए, ताकि उसके जरिये हम उन महत्वपूर्ण चीज़ों को देख सकें जो इस दुनिया में और जीवन में , और मृत्यु में भी, मौजूद हैं |"*"मेरे लिए कविता...

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Article 8

 "लोग राजनीति में सदा छल और आत्म-प्रवंचना के नादान शिकार हुए हैं और तब तक होते रहेंगे, जब तक वे तमाम नैतिक, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक कथनों, घोषणाओं और वायदों के पीछे किसी न किसी वर्ग के हितों का...

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Article 7

 अन्वेषा वार्षिकी पर वरिष्ठ कवि और 'धरती'के सम्पादक साथी शैलेन्द्र चौहान की टिप्पणी 'जनसंदेश टाइम्स'में। 

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बर्फ़बारी के मौसम का क़सीदा

बाहर बर्फ़बारी जंगल कोयंत्रणा दे रही है। असम्पृक्त भालू अपनी खोह मेंशीतनिद्रा में पड़ा हुआ है। परिचित दुखों के आदी लोगअपरिचित दुखों के दुर्गम प्रदेश सेगुज़र रहे हैं। मध्यकालीन मन्दिर का पुराना विशाल...

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Article 5

 मजदूरों का भी अपना उत्सव  होना चाहि‍ए।वह उत्सव है पहली मई का दि‍न और इस पर उन्हें  ऐलान करना चाहि‍ए            ’’सभी को काम, सभी को आजादी, सभी को बराबरी ।‘’  - स्‍तालि‍नसाथि‍यो!बहुत समय पहले पि‍छली...

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कविता_रोशनाबाद

 मुहब्बत का शजरा इलाही मियाँ, साकिन गाँव निजामपुर, ब्लॉक हसनपुरा, जिला सिवान, बिहार अब्बू की पिटाई और पढ़ाई के ख़ौफ़ से भागकर गये थे कलकत्ता जब मुल्क इमरजेंसी के ख़ौफ़ के साये तलेजी रहा था।चटकल में...

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प्रासंगिक सवाल...

 मौजूदा अविवेकपूर्ण युद्धोन्मादी माहौल में कात्यायनी की यह टिप्पणी। ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... युद्धोन्माद के माहौल में कुछ असुविधाजनक लेकिन सबसे अधिक प्रासंगिक सवाल जिन्हें सबसे अधिक...

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Article 2

 नूर का अर्थ है रौनक। इससे नूरा विशेषण बना है। नूरा कुश्ती यानी ऐसी कुश्ती जिसमें कुश्ती की रौनक या तड़क-भड़क तो हो लेकिन कुश्ती वास्तविक न हो। नूरा कुश्ती में पहलवान मिलीभगत करके लड़ते हैं, किसी की...

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बौद्धिक बाज़ार में सेल लगी है।

एक किलो मूर्खता के साथ अति आत्मविश्वास का पाँच सौ ग्राम का पैकेट मुफ़्त! पाँच किलो कूपमण्डूकता के साथ दो किलो आत्ममुग्धता मुफ़्त! तीन दर्जन कविता के साथ महानता-बोध का तीन लीटर का छोटा गैस सिलेंडर...

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Article 0

 सबसे अच्छे लोगों के पास सुन्दरता के लिए भावनाएँ होती हैं, जोखिम मोल लेने की हिम्मत होती है, सच कहने का अनुशासन होता है, क़ुर्बानी देने की कुव्वत होती है। विडम्बना यह होती है कि अपने इन्हीं गुणों के...

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